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Shivratri (शिवरात्रि) - Mahashivratri (महाशिवरात्रि)

February 26, 2014

Shri Maha Shivratri is on 27 February, Thursday!
महाशिवरात्रि व्रत - २७ फ़रवरी २०१४, वीरवार/गुरुवार
सूर्योदय (sunrise): प्रातः ६:५२ बजे (दिल्ली), प्रातः ७:०१ बजे (जालंधर)
सूर्यास्त (sunset): सायं १८:१७ बजे (दिल्ली), सायं १८:२२ बजे (जालंधर)
निशित काल पूजा समय: रात्रि ००:०८ बजे से रात्रि ००:५८ बजे तक (अवधि: ५० मिनट)
Nishita Kaal Puja Time: 00:08 AM to 00:58 AM (Duration: 0 Hours 50 Mins)
श्रीमहाशिवरात्रि प्रण समय : प्रातः ०६:५२ से दोपहर ०३:२५ तक

Shivratri is a Hindu festival dedicated to Lord Shiva (one of the deities in Hinduism). It is considered the most favourite day of Lord Shiva and has many legends associated with this day.  Most prominent of these are Samundra Manthan, Shiv's Tandav Nritya and marriage of Shiva and Shakti (Parvati/Sati).  Shivratri Vrata is celebrated every month but most prominent and auspecious of these is the one which falls in the month of february-march or Phalgun as per Hindu Calendar and is thus called MahaShivratri.

 

साल में 11 मास शिवरात्रि, एक महाशिवरात्रि

वैसे तो हर महीने कृष्ण पक्ष में शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, लेकिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर महाशिवरात्रि का आयोजन किया जाता है। ईशान संहिता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन अद्र्धरात्रि में ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था।

 

ज्योतिष् शास्त्री कहते हैं की श्रीमहाशिवरात्रि का कल्याणकारी व्रत रखने से अश्वमेध यज्ञ के तुल्य फल प्राप्त होता है| इस दिन काले तिलों सहित स्नान करके व्रत धारण कर रात्रि में भगवान शिवशंकर की विधिवत पूजा करनी चाहिए| दूसरे दिन अथवा अमावस्या को ब्राह्मण भोजन एवम् दानादि के पश्चात स्वयं भी श्री शिवपूजन उपरांत भोजन करना चाहिए| महाशिवरात्रि इस वर्ष गुरुवार के दिन है। गुरुवार गुरु यानी भगवान विष्णु की पूजा का दिन है। ज्योतिषशास्त्री बताते हैं कि महाशिवरात्रि और गुरुवार का संयोग बहुत ही शुभ फलदायी है। इस अवसर पर भगवान शिव की पूजा से सुख-समृद्घि और पुण्य लाभ एक साथ प्राप्त किया जा सकता है। जो व्यक्ति भूमि, भवन एवं वाहन खरीदाना चाहते हैं उनके लिए यह शुभ योग है। नया कारोबार एवं नए संबंधों के लिए भी यह महाशिवरात्रि उत्तम है।

 

शिवरात्रि को ज्ञानपर्व माना गया है। जिस प्रकार दीपावली लक्ष्मी प्राप्ति का योग बनाती है उसी प्रकार महारात्रि शक्ति के योग के लिये जानी गयी है। इस वर्ष महाशिवरात्रि पर शिव पार्वती योग बन रहा है। यह बहुत ही शुभ योग माना गया है। इस योग को शिवशक्ति और शंभूसती योग भी कहा जाता है। करीब 500 साल के बाद महाशिवरात्रि पर ग्रहों की विशेष स्थिति बनी है जिससे यह योग बना है। महाशिवरात्रि पर इस बार प्रदोषयुक्त चतुर्दशी एवं श्रवण नक्षत्र का अनूठा संयोग बन रहा है। यह संयोग श्रद्धालुओं के काल सर्प दोष एवं पितृ दोष से मुक्ति दिलाने वाला होगा। पंडितों के मुताबिक शिव उपासना के इस अनूठे संयोग में विधि विधान के साथ शिव पूजन करने वाले श्रद्धालुओं के सभी मनोरथ पूरे होंगे। दरअसल चार पहर की पूजा में चतुर्दशी तिथि होगी। इस संयोग से भी यह महापर्व इस बार खास माना जा रहा है। इस बार महाशिवरात्रि 27 फरवरी को पड़ रही है। इसके तहत 27 फरवरी की रात 8.19 बजे तक त्रयोदशी तिथि होगी। इसके बाद चतुर्दशी का आगमन होगा। यह तिथि 28 फरवरी की शाम 4.50 बजे तक रहेगी। महाशिवरात्रि पर प्रदोषकाल त्रयोदशी तिथि और अद्र्धरात्रि में चतुर्दशी तिथि का संयोग बन रहा है। यह संयोग लंबे समय बाद (करीब 500 साल के बाद) बन रहा है। वहीं श्रवण नक्षत्र भी रहेगा। दिन में त्रयोदशी और रात में चतुर्दशी में महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। चारों पहर चतुर्दशी तिथि होगी और त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी तिथि बन रही है। ऐसे में यह महापर्व और भी खास हो जाता है। महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा का भी विशेष महत्व है।

 

महा शिवरात्रि की अर्द्धरात्रि में विशेष पूजा का विधान है। चार पहर पूजा करते हुए पहले प्रहर में दूध से, द्वितीय प्रहर में गन्ने के रस से, तृतीय प्रहर में गिलोय में तथा चतुर्थ प्रहर में गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए।

 

महाशिवरात्रि मेष, वृश्चिक, मिथुन और कन्या राशियों के लिये अत्यधिक फलदायी है।

 

Traditional Indian religious practices highlight some specific Shiva Mantras for the occasion of Maha-Shivratri. It is a common practice to fast for the entire period of Shivratri and worship Shiva during each Prahar (प्रहर) and the Nishit Kaal (निशित काल) at night.

According to Indian Cosmology a day is sub divided into 8 units or Prahars. A Prahar is a time unit of approximately 3 hours or so. These Prahars are calculated for the entire day commencing from Sunrise to Sunrise.

Nishit Kaal is that period of time approximately around midnight which is considered most auspicious for any kind of worship; it normally falls in between the 2nd and 3rd Prahar.

The timings for the Prahar and Nishit Kaal are given in the Hindu Lunar Calendar and depend upon the geographical location of the place you live in.

Here we are giving specific Shiva Mantras to meditate upon Shiva for each Prahar of the night and the Nishit Kaal. These mantras are considered to be most fruitful and beneficial during Maha Shivratri.

 

Shri Mahashivratri Puja Mantra (श्रीमहाशिवरात्रि पूजा मंत्र)

पहला प्रहर (सायं ०६:१५ बजे से रात्रि ०९:२४ बजे तक)
श्री शिवाय नमः ||
दूसरा प्रहर (रात्रि ०९:२४ बजे से
प्रातः ००:३३ बजे तक)
श्री शंकराय नमः ||
निशित काल (
प्रातः ००:०८ बजे से प्रातः ००:५८ बजे तक)
श्री सांब सदाशिवाय नमः ||
तीसरा प्रहर (
प्रातः ००:३३ बजे से प्रातः ०३:४२ बजे तक)
श्री महेश्वराय नमः ||
चौथा प्रहर (
प्रातः ०३:४२ बजे से प्रातः ०६:५१ बजे तक)
श्री रुद्राय नमः ||


श्रीमहाशिवरात्रि प्रण समय : प्रातः ०६:५२ से दोपहर ०३:५ तक




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